औरत, रिती- रिवाज, संघर्ष, त्याग और बलिदान, एक नई सोच । औरत, रिती- रिवाज, संघर्ष, त्याग और बलिदान, एक नई सोच ।
पल दो पल याद कर लिया ख़ुद को पल दो पल याद कर लिया ख़ुद को
उसने बढ़ाए हाथ, मैंने सिक्का थमा दिया। क्या यही है इंसानियत, तो मैंने निभा लिया। उसने बढ़ाए हाथ, मैंने सिक्का थमा दिया। क्या यही है इंसानियत, तो मैंने न...
अश्क़ो को मुस्कराहटों में छुपाना सीख लिया, अगरचे यही है ज़िन्दगी तो हमने फकत हमने जी अश्क़ो को मुस्कराहटों में छुपाना सीख लिया, अगरचे यही है ज़िन्दगी तो हमन...
नाम उनका ना कभी खराब करेंगे एक बेटी होने का हर फ़र्ज़ निभाएंगे, बेटो से ज्यादा होती है ल नाम उनका ना कभी खराब करेंगे एक बेटी होने का हर फ़र्ज़ निभाएंगे, बेटो से ज्यादा ...
क्या-क्या खोया अब तक मैंने उसका कोई हिसाब नहीं , अब मैंने भी हिसाब लगाना सीख लिया । क्या-क्या खोया अब तक मैंने उसका कोई हिसाब नहीं , अब मैंने भी हिसाब लगाना सीख ...